
Bhojpuri Song: भोजपुरी सिनेमा जगत में गानों का महत्वपूर्ण स्थान है, यहाँ तक कि यह अपनी विवादास्पदता के लिए भी मशहूर है। इस उद्यम में मनोरंजन की शैली, वस्त्रों की विविधता, और विभिन्न प्रेम-संबंधों के बाद यदि कोई गाना सबसे प्रसिद्ध है, तो वह महिलाओं के अंग-विकलांगता पर आधारित है। इस विचारधारा में गायकों का इस अंग के प्रति आकर्षण और स्नेह इतना ऊँचा है कि कुछ लोग 32 जीबी रैम तक इसे लगवा देते हैं, वहीं कुछ उसे अपने देवर से मिलने का बहाना बना लेते हैं। और इस ऊँचाई पर नहीं रुकता, जब गाना निर्मित होता है, रात भर अनियमितता के साथ ढोड़ी की आवाज़ सिसकती है। अब, अगर इन विभिन्न तत्वों का संयोजन सफल नहीं हो रहा है, तो उम्र बढ़ाने के उपाय की ओर पर ध्यान केंद्रित हो रहा है। इस लेख में, हम भोजपुरी गानों में अंग-विकलांगता की चर्चा करेंगे।
वास्तव में, प्रत्येक व्यक्ति की एक ऐसी आवश्यकता होती है कि वह 100 वर्षों तक इस धरती पर अपनी छाप छोड़े, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं होता है। लेकिन, एक भोजपुरी गायक ने एक गीत के माध्यम से इस इच्छा की पूर्ति के लिए एक सूत्र प्रस्तुत किया है! इस गायक के अनुसार, यदि आप इस गाने को आजमाते हैं, तो आपकी उम्र 100 साल तक बढ़ सकती है। वाकई, उनकी सोच का यह है, और उनके इस गीत में क्या अभिव्यक्त हुआ है, इसके बारे में जानने का आवश्यक यहाँ आपके सामने प्रस्तुत हो रहा है। ‘ढोड़ी में चाय पियब 100 साल जियब’ यह गीत सरोज सावारिया और नंदिता दीक्षित द्वारा गाया गया है। जीवन की यात्रा को सौ साल तक बढ़ाने वाले इस गीत का लेखक गौतम है।
विचारशीलता के साथ कहूं, भोजपुरी उद्यम में अंग-विकलांगता पर आधारित गीतों का आगमन सुझाता है कि इसका नाम “भोजपुरी उद्यम” से बदलकर “अंग-विकलांगता उद्यम” किया जाए। इन्हें आश्लीलता से मुक्त करने के लिए प्रयत्नशील एकल कलाकारों ने भोजपुरी को बस अंग-विकलांगता की दिशा में विकसित किया है। भोजपुरी क्षेत्र में यह चर्चा करना जारी रखें कि इसके साथ ही ऐसे संगीतकार और गायक जिन्होंने अंग-विकलांगता को स्वतंत्रता से गांठने का काम किया है। उन्होंने एक नई प्रेरणा स्रोत की शुरुआत की है, जिसमें भोजपुरी संगीत मुक्ति अभियान के साथ आगे बढ़कर हर कदम पर सहायक बन रहा है। उनके कार्यों की दिशा देखते हुए सही कह सकते हैं कि वे दिल्ली में ढोड़ी के साथ कुछ और भी प्रिय व्यंजन जैसे दाल, भात, रोटी, और लिट्टी-चोखा को पिशवा देंगे।